भगवान श्री राम थे 11 गुणों की खान

(1 ) धैर्यवान:- 14 वर्ष वनवास, राम सेतु का निर्माण फिर सीता को त्यागना और एक सन्यासी की भांति अपना जीवन बिताना। इन सब कार्यों के लिए धैर्य की परम आवश्यकता होती है। 

(२) श्री राम दयालु थे। उन्होंने अपनी शरणागति सुग्रीव, विभीषण, हनुमान जी, जटायु सभी को प्रदान की। 

(३) श्री राम ने अपने सभी सौतेले भाइयों में सगे भाइयों से अधिक प्रेम रखकर एक आदर्श भाई का उदाहरण प्रस्तुत किया और अपना बड़प्पन दिखाया। 

(4 ) भगवान श्री राम एक कुशल नेता थे। उनके अंदर सभी को साथ में लेकर चलने और उनका नेतृत्व करने की अद्वितीय क्षमता थी। जिस कारण उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त की। 

(5) भगवान श्री राम  दृढ़ प्रतिज्ञ थे। रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाए। 

(6) भगवान श्रीराम सदाचारी थे। वे एक आदर्श चरित्र के स्वामी थे, धर्मात्मा थे, पुण्यात्मा थे और सदैव बड़ों का सम्मान करने वाली थे। 

(7) भगवान श्रीराम जितेंद्रीय थे अर्थात उनका मन, उनकी इंद्रियां उनके वश में थी। 

(8) भगवान श्री राम शांतिप्रिय और सहज स्वभाव के स्वामी थे।  उनका क्रोध उनके वश में था। 

(9) भगवान श्री राम विनम्र स्वभाव के स्वामी थे। वह सदैव अपने से बड़ों, गुरुजनों का आभार व्यक्त करने में सर्वोपरि रहते थे। 

(10) भगवान श्रीराम विद्वान थे। उन्हें वेद और शास्त्र कंठस्थ थे। उन्हें उनके गुरुजनों द्वारा समस्त विद्याओं में पारंगत किया गया था। 

(11) भगवान श्रीराम अत्यंत सुंदर और मनमोहक छवि वाले थे। उनके चेहरे का तेज देखते ही बनता था। 

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