(1) दीपावली के 1 दिन पहले रूप चौदस का त्यौहार मनाया जाता है। 

(2 ) इसे काली चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी, रूप चौदस, नरक निवारण चतुर्दशी, भूत चतुर्दशी भी कहते है। 

नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। 

रूप चौदस को भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा का विधान है। इनके पूजन से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है। 

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन लगाने का विधान है। ऐसा करने से रूप सौंदर्य के निखार में वृद्धि होती है।

प्रातः स्नान के बाद दक्षिण की ओर मुंह करके भगवान यमराज से प्रार्थना करने से व्यक्ति के वर्ष भर के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। 

कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां  नरक चतुर्दशी के दिन आम आदमी का प्रवेश वर्जित है।  उस दिन केवल अघोरियों को ही प्रवेश मिलता है। 

रूप चौदस को माता काली की आराधना का विशेष फल प्राप्त होता है। 

पश्चिम बंगाल में रूप चौदस को माता काली का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। 

नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। 

रूप चौदस पर माता लक्ष्मी, यमराज और नीम करोली बाबा की कृपा आप सभी को प्राप्त हो। 

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