नवरात्रि सप्तम दिवस माता कालरात्रि

नवरात्रि के सप्तम दिवस पर माता कालरात्रि की पूजा होती है माता का नाम उनके रूप के अनुसार ही है। इस रूप में माता का वर्ण काले और नीले रंग का दिखाई पड़ता है। 

शुंभ निशुंभ नामक दैत्यों का संहार करने वाली देवी को ही कालरात्रि कहते हैं।

कालरात्रि स्वरूप में माता की चार भुजाएं हैं। एक हाथ से माता अभय प्रदान तो दूसरे हाथ से आशीर्वाद देती हैं।

तीसरे हाथ में माता ने खड्ग और चौथे में कटीला धारण किया हुआ है।

माता कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और उनके गले में विद्युत की माला चमकती रहती है। 

माता कालरात्रि का वाहन गर्दभ अर्थात गधा है। 

माता कालरात्रि को क्रोध आने पर उनकी नासिका से अग्नि की लपटें निकलने लगती है। 

चंड मुंड नामक दैत्यों का संघार करने वाली देवी भी कालरात्रि ही हैं। 

माता कालरात्रि का निवास पिंगला नाड़ी में माना जाता है। 

माता कालरात्रि को लाल गुड़हल के फूल अत्यधिक प्रिय हैं। 

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