परनिंदा सबसे बड़ा पाप है। अतः दूसरों की निंदा करने से बचना चाहिए। 

किसी की निंदा करने से ज्यादा किसी की निंदा सुनना अपराध माना जाता है। 

मनुष्य को दयावान होना चाहिए क्योंकि किसी पर दया करना सबसे बड़ा मानवीय गुण माना जाता है। 

भूखे को भोजन कराने से बड़ी तृप्ति संसार के किसी भी अन्य कार्य से प्राप्त नहीं होती। 

भगवान भोग के नहीं अपितु अपने भक्तों के भाव के भूखे होते हैं। अतः भगवान को भावपूर्ण तरीके से ही भोग लगाना चाहिए। 

किसी असहाय जीव की रक्षा, स्वयं की क्षमता होते हुए भी न करना अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आता है। 

भगवान अपने भक्त को उसी प्रकार पूजते हैं जिस प्रकार  भक्त भगवान को पूजता है। 

सती नारियों के लिए उनका पति ही परमेश्वर स्वरूप होता है। उनके लिए उनके पति के अतिरिक्त संसार में दूसरा पुरुष होता ही नहीं। 

नारी स्वयं भगवती का स्वरूप मानी जाती है। अतः प्रत्येक पुरुष को नारी का सम्मान करना चाहिए। 

जिस घर में नारी का सम्मान होता है वहां सुख, शांति, धन, वैभव और देवता सदा निवास करते हैं।

Kainchi Dham Neem Karoli Baba Ashram

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